Friday, July 18, 2008

युद्ध

हर हँसी , हर मुस्कुराहट छोड़ कर
गुमसुम दूर सन्नाटों को निहारती
सुंदर सी दो आँखें
क्या छोड़ दिया क्या खो दिया,
दिल जो भर आया तो थोड़ा सा रो लिया
क्या समझाए और क्या कोई समझे
एक इच्छा , एक तमन्ना, एक सपना
पानी के बुलबुले या चट्टानी इरादे
बुलंद संघर्ष या झूठे वायदे
छोड़ते हैं समय पर तय करने के लिए,
चलते हैं वीर अब एक युद्ध और लड़ने के लिए ...