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Monday, June 22, 2020

गुरु का साया

जीवन में उसने ही कुछ पाया जिसको मिला गुरु का साया
सुख तो सुख ही रहे उसके, दुःखों से भी उसने सुख ही पाया
 जिसको मिल जाए गुरु का साया

जीवन में जो आनंद बरसाए
मान-अपमान अंतर को छू ना पाए
अद्भुत विस्मय में कटता जीवन
प्रबल हो सामने आता वर्तमान क्षण
ॐ ॐ में लय हो जाता
अतुल्य तेज बल वो पाता
हो जाती अग्नि जैसी काया
जिसको मिल जाता गुरु का साया

देव ,यक्ष ,गन्धर्व ,किन्नर करे सेवा जिसकी
परम प्रेम छवि उसकी
भक्ति रस को जो समझाए
सत्य ज्योति से साक्षात्कार कराये
जो जला दे ह्रदय में ज्ञान की ज्वाला
खोल दे बुद्धि से इच्छाओं का ताला
छिन्न-भिन्न  हो जाती मोह-माया
जब मिल जाता गुरु का साया



Wednesday, June 3, 2015

एक याद

वह पल थे जिन में हसरतें थीं,
मोहब्बत थी, जुनून था
वह पल थे जब इक नाम में दुनिया सिमट जाती थी,
जब मन्नतों में सिर्फ एक सूरत नज़र आती थी
वह पल थे जिन में हम ने इबादत सीखी,
चाहत सीखी, मोहब्बत सीखी
वह पल थे जब आँखों में नूर था,
दिल में मासूमियत थी, दीवानगी का सरूर था
उन पलों में बेचैन रह कर आँसू भी बहाये,
ज़र्रे-ज़र्रे में ढूँढा उसे, न किसी के करीब आये
वह पल कभी नहीं आएंगे वापिस,
वह पल कभी नहीं आएंगे
इस कसक को याद करेंगे हम भी कभी-कभी,
वह पल जब याद आएँगे

Thursday, January 8, 2015

मुर्शिद संग रह जाएगा

(Dedicated to H. H. Sri Sri Ravi Shankar)

बस मुर्शिद ही इक डोर है,
नहीं दूसरा कहीं कोई और है,
हर रंग और इक दिन उड़ जाएगा,
बस मुर्शिद संग रह जाएगा

हर रिश्ता सितारों का खेल है,
हर बंधन कुछ लम्हों का मेल है,
इक बस इश्क ही संग तेरे जाएगा
बस मुर्शिद संग रह जाएगा

खेल ज़िन्दगी का खेले 'सवीन',
ख़ुशी, गम सब पाए रंगीन,
इश्क-इश्क करता वो जाएगा,
बस मुर्शिद संग रह जाएगा...

Monday, November 3, 2014

एक प्रेम कहानी

दूध की बोतलों और राशन की कतारों में खोयी सी एक प्रेम कहानी
कुछ सिक्कों की खोज में गुम एक और प्रेम कहानी
थकी रातों की मसरूफ सुबहों का इंतज़ार करती प्रेम कहानी
सुनहरे कल को खोजती, परदेस में भटकती प्रेम कहानी
गुमसुम, उदास : पर जाने क्यों ना रोती प्रेम कहानी
फिर भी उम्मीद है कि ढूंढ लेगी अपनी मंज़िल अपनी प्रेम कहानी
क्योंकि है साथ जब तक मुर्शिद, रंगीन है यह अपनी प्रेम कहानी

Sunday, November 2, 2014

सो जा

ओ मेरे प्यारे, आँखों के तारे, राजदुलारे,  सो जा …

अंखियों में तेरी निंदिया है इतनी
परियां तुझे पुकारे
चंदा को लेके, तारे समेटे, बाहों में मेरी सो जा।

ओ मेरे प्यारे, आँखों के तारे, राजदुलारे,  सो जा …


Friday, July 18, 2008

युद्ध

हर हँसी , हर मुस्कुराहट छोड़ कर
गुमसुम दूर सन्नाटों को निहारती
सुंदर सी दो आँखें
क्या छोड़ दिया क्या खो दिया,
दिल जो भर आया तो थोड़ा सा रो लिया
क्या समझाए और क्या कोई समझे
एक इच्छा , एक तमन्ना, एक सपना
पानी के बुलबुले या चट्टानी इरादे
बुलंद संघर्ष या झूठे वायदे
छोड़ते हैं समय पर तय करने के लिए,
चलते हैं वीर अब एक युद्ध और लड़ने के लिए ...

Monday, August 20, 2007

गुरू इश्क तेरा

(dedicated to H. H. Sri Sri Ravi Shankar)

गुरु
इश्क तेरा खुद में बेमिसाल है,
यह जो रंगत है चेहरे पर मेरी, वो तेरा ही कमाल है...

जो देखता है वाह-वाह करता है,
जो सुनता है कहता है तू आतिश है, धमाल है,
यह जो रंगत है चेहरे पर मेरी, वो तेरा ही कमाल है...

खुश हूँ मुसीबतों में, मेहफूस हूँ मुश्किलों में,
कोई कहता है दीवाना मुझको,में कहता हूँ तेरे इश्क का मयाल है,
यह जो रंगत है चेहरे पर मेरी, वो तेरा ही कमाल है...

मरता है 'सवीन' तुझ पर, तुझ पर सब निसार है,
अब आ के देख ले तू खुद ही तूने किया जो कमाल है,
यह जो रंगत है चेहरे पर मेरी, वो तेरा ही कमाल है...

Sunday, August 19, 2007

दर्द

मरता है तो मर जाए, बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

वो कहते हैं कि मिलता है सकून कब्र में
या जब शोलों से खेला जाए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

वो जानते दर्द तो दर्द भी क्या बुरा था,
वो जानते मोहब्बत तो जीना भी क्या बुरा था!
ऐसे गए वो कि जाने कब सामने आए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

ना हरम में ना मयकशी में
ना गम में ना ख़ुशी में
ना महफिलों में ना बेखुदी में
ना जीने में ना अब मरने में चैन आए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

खुली रख आँखें 'सवीन' अभी,
कि थामे रख साँसें अभी,
क्या पता इक बार फिर वो सामने आए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

आवाज़

भरे-भरे से रात दिन किसी की आवाज़ से...

पुकारूँ तो भी छलक जाए
पर दूर से कुछ भी नज़र ना आए...
पास जाऊँ तो सुनूँ उसके राज़,
बाँध कर ले आऊँ साथ अपने उसकी आवाज़,
कि तनहा हैं रात-दिन ना जाने किस हिसाब से,
भरे-भरे से रात दिन किसी की आवाज़ से...

अगर है तनहाई मुकाद्दर तो सीने से लगा लूँ,
है जशन सन्नाटा, सबको बता दूँ
कौन है साथ किसके,यह पूछो जनाब से,
भरे-भरे से रात दिन किसी की आवाज़ से...

वो थे दूर तो दिल में दर्द हुआ,
वो आए पास तो दिल ही ना हुआ...
रह गए बस कुछ लम्हे खराब से,
भरे-भरे से रात दिन किसी की आवाज़ से...

Friday, August 17, 2007

आरज़ू

है बुझा सा दिल,
कभी तो आ कर तू मुझे मिल...
मुझे इक हँसी दे जा,
मेरे कानों में कुछ चुपके से कह जा,
मुझे गले लगा के ठहर जा कुछ पल,
आज ही आ किसने देखा है कल,
दीवानगी चाहे इसे कहे कोई,
जानता है जो सहे वो ही,
चाह किसी के पास होने की,
चैन से फिर कुछ पल यूँ सोने की,
पर इक बुझे से दिल में सब है धुआँ,
हर चैन जाने खोया है कहाँ,
ना उम्मीद, ना आरज़ू, ना इल्तेजाह कोई ,
राख के समंदर में रूह है सोई,
ना अब्र है, ना रौशनी है, ना हवा है,
नहीं जानते कि अब हम कहाँ हैं,
बुझा है दिल,महफिल में कोई शमा जलाए,
किसी बहाने से हम उनसे मिलने जाये...

Friday, July 27, 2007

याद कर लिया तुमने...

ज़रूरत से यादों का सफ़र यूँ तो है छोटा,
पर शुरू होने में देर लग जाती है अक्सर...
तो करो इंतज़ार ज़हर उतरने का रगों में,
इंतज़ार लम्बा है और दर्द भी उतना होगा,
महसूस कर पाओगे सिर्फ तुम मगर,
इंतकाम मेरा बहुत मीठा होगा।
दर्द से दर्द नहीं मिटता, मुस्कुराना भी ज़रूरी है,
इंतज़ार लम्बा सही मगर फासला छोटा होगा,
याद जब कर ही लिया तुमने ,
क्यों सोचते हो अंजाम क्या होगा...

Thursday, July 26, 2007

घर आओ

लिख तो दें कुछ उसके लिए अगर ग़ज़ल तस्वीर बन जाये
जान दे दे उसके लिए जो अपनी तकदीर बन जाये
पर सूखे हुए आँसू कोई कहानी कहते नहीं
उन आहों के तूफ़ान भी अब बहते नहीं
खूबसूरत आँखों में हम ने देखें हैं पत्थर
दरिया उन सेहरा में अब रहते नहीं
भूलो सब, इस ग़ज़ल को गले से लगाओ
मेरे लफ़्ज़ों से आज तुम एक तस्वीर बनाओ
दोस्ती के रंग भरो उस में
खुशियों की महफिल में उसे सजाओ
रास्ते में मिल जायेगी मोहब्बत
ले कर उसे अपने घर आओ...