Capitalist Dreamz
Chronicles of a capitalist
Tuesday, September 30, 2008
आवाज़
रोता नहीं, खून-ऐ-जिगर बहाता हूँ
लिखता नहीं, दाग दिल के दिखाता हूँ
वतन मेरा लहू में है डूबा
जगाने लोगों को आवाज़ लगाता हूँ ...
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