लिख तो दें कुछ उसके लिए अगर ग़ज़ल तस्वीर बन जाये
जान दे दे उसके लिए जो अपनी तकदीर बन जाये
पर सूखे हुए आँसू कोई कहानी कहते नहीं
उन आहों के तूफ़ान भी अब बहते नहीं
खूबसूरत आँखों में हम ने देखें हैं पत्थर
दरिया उन सेहरा में अब रहते नहीं
भूलो सब, इस ग़ज़ल को गले से लगाओ
मेरे लफ़्ज़ों से आज तुम एक तस्वीर बनाओ
दोस्ती के रंग भरो उस में
खुशियों की महफिल में उसे सजाओ
रास्ते में मिल जायेगी मोहब्बत
ले कर उसे अपने घर आओ...
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