Sunday, August 19, 2007

दर्द

मरता है तो मर जाए, बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

वो कहते हैं कि मिलता है सकून कब्र में
या जब शोलों से खेला जाए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

वो जानते दर्द तो दर्द भी क्या बुरा था,
वो जानते मोहब्बत तो जीना भी क्या बुरा था!
ऐसे गए वो कि जाने कब सामने आए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

ना हरम में ना मयकशी में
ना गम में ना ख़ुशी में
ना महफिलों में ना बेखुदी में
ना जीने में ना अब मरने में चैन आए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

खुली रख आँखें 'सवीन' अभी,
कि थामे रख साँसें अभी,
क्या पता इक बार फिर वो सामने आए,
बस दर्द थोड़ा सा कम हो जाए...

No comments: