Saturday, August 11, 2007

इश्क

इश्क में डूब कर, इश्क में गिर कर, इश्क ही में मर जाओगे,
जनाज़ा भी इश्क-इश्क चिल्लाएगा मौत से जब इश्क निभाओगे!
शोलों से भी इश्क मिलेगा, चिता से भी चैन पाओगे,
राख में भी मिल गए तो ज़मीं से भी इश्क निभाओगे,
पानी में जो फूल गए, पानी से भी इश्क पाओगे,
आशिक हो, खुद इश्क बन कर फ़िज़ाओं में खो जाओगे...

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